👉 सामान्य परिस्थितियों में जब अवसाद का जन्म होता है, तो निम्नलिखित कारण हो सकते हैं
1.प्रियजनों से जुदाई या रिश्ते टूटना।
2.परिवार, आस-पड़ोस में अथवा किसी क़रीबी की मृत्यु।
3.पैसा, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, वस्तु, शक्ति, सत्ता या संपत्ति के खोने पर अथवा ऐसा होने का भय होने पर।
4.परीक्षा में असफलता, अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाना, किसी काम या किए कार्य को पूर्ण करने में अक्षम होना।
5. निंदा, टिप्पणी, दुर्व्यहार, दूसरों की दुश्मनी और भेद भाव से आहत होने पर।
6.गरीबी, नौकरी न होना या मनपसंद नौकरी न होना उम्मीदें और जरूरतें पूरी न हो पाना।
7.धोखा, अन्याय, किसी कारण से ठगा जाने या अकेले होने के भाव होने से।
8.दाग देने वाली, जीवन को खतरे में डालने वाली या विकलांग करने वाली बीमारियां।
9.अपनी कोई पहचान न होना, कोई इनाम न मिलना या बार-बार सजा मिलना।
👉 लक्षण
1.उदासी, नाखुश रहना।
2.रोने और चिल्लाने की घटनाएं।
3.किसी चीज में मन नहीं लगना।
4.मनपसंद गतिविधियों से भी मजा नहीं ले पाना।
5.सुस्त और अलग-थलग रहना, शारीरिक और मानसिक दोनों ही गतिविधियों का सुस्त हो जाना निराश, असहाय और अपने आपको बेकार समझना।
6.चिड़चिड़ाहट, झल्लाहट, गुस्सा, आक्रामक स्वभाव।
7.जीवन अर्थहीन लगना, मृत्यु की इच्छा और आत्महत्या की सोचना।
8.अपने आपको या दूसरे को कोसना।
9.भूख, नींद और कामोत्तेजना में कमी हो जाना।
10.एकाग्रता में कमी, याददाश्त में कमी, निर्णय लेने की असमर्थता।
11. अकेलेपन का अनुभव।
12.हमेशा कुछ खोने का डर लगा रहना।
13.चिकित्सकीय पहचान से अलग, दर्द, थकावट चक्कर, नस का खिंचना।
14.कुछ औरतों में, जो गर्भधारण योग्य आयु में हैं उनमें अवसाद प्रीमेन्स्ट्रअल टेंशन जैसा होता है, जैसे सिरदर्द, शारीरिक पीड़ा, उदासी, चिड़चिड़ाहट, अनिद्रा, उबकाई, उल्टी के लक्षण के साथ उभर कर आ सकते हैं।
👉 क्या करें?
1.अकेले ना रहें। जब आप अवसाद संवेदनशील घटनाओं से गुजर रहे हों, अकेले ना रहें, लोगों के साथ रहें, जिन्हें आप प्यार और सम्मान करते हों और जो आपको प्यार और सम्मान करते हों।
2. अपनी भावनाओं को बांटें। अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं, लोगों से बात करें, अपने पहलू और झल्लाहट के कारण को शेयर करें।
3.बेकार न बैठें। अपने आपको किसी न किसी काम में व्यस्त रखें, कभी भी बेकार न बैठें, न ही लेटें।
4. हानि को आंकेें। विचार करें कि कैसे उससे उबरा जा सकता है। हानि को स्वीकार करें, उसे महान न बनाएं और न ही उसे बढ़ाएं।
5. दोषारोपण न करें। अगर आपको ऐसा लगता है कि हानि आपके या किसी और के चलते हुई है, तो सीख लें, ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो पाए।
6. जगह को बदल दें। कहीं घूमने चले जाएं, दोस्तों और रिश्तेदारों से भेंट करें।
1.प्रियजनों से जुदाई या रिश्ते टूटना।
2.परिवार, आस-पड़ोस में अथवा किसी क़रीबी की मृत्यु।
3.पैसा, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, वस्तु, शक्ति, सत्ता या संपत्ति के खोने पर अथवा ऐसा होने का भय होने पर।
4.परीक्षा में असफलता, अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाना, किसी काम या किए कार्य को पूर्ण करने में अक्षम होना।
5. निंदा, टिप्पणी, दुर्व्यहार, दूसरों की दुश्मनी और भेद भाव से आहत होने पर।
6.गरीबी, नौकरी न होना या मनपसंद नौकरी न होना उम्मीदें और जरूरतें पूरी न हो पाना।
7.धोखा, अन्याय, किसी कारण से ठगा जाने या अकेले होने के भाव होने से।
8.दाग देने वाली, जीवन को खतरे में डालने वाली या विकलांग करने वाली बीमारियां।
9.अपनी कोई पहचान न होना, कोई इनाम न मिलना या बार-बार सजा मिलना।
👉 लक्षण
1.उदासी, नाखुश रहना।
2.रोने और चिल्लाने की घटनाएं।
3.किसी चीज में मन नहीं लगना।
4.मनपसंद गतिविधियों से भी मजा नहीं ले पाना।
5.सुस्त और अलग-थलग रहना, शारीरिक और मानसिक दोनों ही गतिविधियों का सुस्त हो जाना निराश, असहाय और अपने आपको बेकार समझना।
6.चिड़चिड़ाहट, झल्लाहट, गुस्सा, आक्रामक स्वभाव।
7.जीवन अर्थहीन लगना, मृत्यु की इच्छा और आत्महत्या की सोचना।
8.अपने आपको या दूसरे को कोसना।
9.भूख, नींद और कामोत्तेजना में कमी हो जाना।
10.एकाग्रता में कमी, याददाश्त में कमी, निर्णय लेने की असमर्थता।
11. अकेलेपन का अनुभव।
12.हमेशा कुछ खोने का डर लगा रहना।
13.चिकित्सकीय पहचान से अलग, दर्द, थकावट चक्कर, नस का खिंचना।
14.कुछ औरतों में, जो गर्भधारण योग्य आयु में हैं उनमें अवसाद प्रीमेन्स्ट्रअल टेंशन जैसा होता है, जैसे सिरदर्द, शारीरिक पीड़ा, उदासी, चिड़चिड़ाहट, अनिद्रा, उबकाई, उल्टी के लक्षण के साथ उभर कर आ सकते हैं।
👉 क्या करें?
1.अकेले ना रहें। जब आप अवसाद संवेदनशील घटनाओं से गुजर रहे हों, अकेले ना रहें, लोगों के साथ रहें, जिन्हें आप प्यार और सम्मान करते हों और जो आपको प्यार और सम्मान करते हों।
2. अपनी भावनाओं को बांटें। अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं, लोगों से बात करें, अपने पहलू और झल्लाहट के कारण को शेयर करें।
3.बेकार न बैठें। अपने आपको किसी न किसी काम में व्यस्त रखें, कभी भी बेकार न बैठें, न ही लेटें।
4. हानि को आंकेें। विचार करें कि कैसे उससे उबरा जा सकता है। हानि को स्वीकार करें, उसे महान न बनाएं और न ही उसे बढ़ाएं।
5. दोषारोपण न करें। अगर आपको ऐसा लगता है कि हानि आपके या किसी और के चलते हुई है, तो सीख लें, ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो पाए।
6. जगह को बदल दें। कहीं घूमने चले जाएं, दोस्तों और रिश्तेदारों से भेंट करें।
nice bro keep it up :)
ReplyDeleteThanks
DeleteGood one
ReplyDeleteThanks mam
Deletei just loved it
ReplyDeleteThanks bro...
ReplyDelete